Mangala Gauri Aarti in Marathi मंगळागौरीची आरती

Webdunia
जय देवी मंगळागौरी। ओंवाळीन सोनियाताटीं।।
रत्नांचे दिवे। माणिकांच्या वाती। हिरेया ज्योती।।धृ।।
 
मंगळमूर्ती उपजली कार्या। प्रसन्न झाली अल्पायुषी राया।।
तिष्ठली राज्यबाळी। अयोषण द्यावया। ।1।।
 
पूजेला ग आणिती जाईजुईच्या कळ्या। सोळा तिकटीं सोळा दूर्वा।।
सोळा परींची पत्री। जाई जुई आबुल्या शेवंती नागचांफे।।
पारिजातकें मनोहरें। नंदेटें तगरें। पूजेला ग आणिली।।2।।
 
साळीचे तांदुळ मुगाची डाळ। आळणीं खिचडी रांधिती नारी।।
आपुल्या पतीलागीं सेवा करिती फार ।।3।।
 
डुमडुमें डुमडुमें वाजंत्री वाजती। कळावी कांगणें गौरीला शोभती।।
शोभली बाजुबंद। कानीं कापांचे गवे। ल्यायिली अंबा शोभे।।4।।
 
न्हाउनी माखुनी मौनी बैसली। पाटाबाची चोळी क्षीरोदक नेसली।।
स्वच्छ बहुत होउनी अंबा पुजूं लागली ।।5।।
 
सोनिया ताटीं घातिल्या पंचारती। मध्यें उजळती कापुराच्या वाती।।
करा धूप दीप। आतां नैवेद्य षड्रस पक्वानें। तटीं भरा बोनें ।।6।।
 
लवलाहें तिघें काशीसी निघाली। माउली मंगळागौर भिजवूं विसरली।।
मागुती परतु‍नीयां आली। अंबा स्वयंभू देखिली।।
देउळ सोनियाचे। खांब हिरेयांचे। कळस वरती मोतियांचा ।।7।।
ALSO READ: Mangala Gaur Vrat Katha :कहाणी मंगळागौरीची

संबंधित माहिती

पुढील लेख