Navratri Special आरती: जय जय जगदंबे Jay Jay Jagdambe Aarti | Renuka Mata (रेणुका माता)
शनिवार, 1 ऑक्टोबर 2022 (16:17 IST)
जय जय जगदंबे | श्री अंबे | रेणुके कल्पकदंबे | जय जय || धृ ||
अनुपम स्वरुपाची तुझी धाटी | अन्य नसे या सृष्टी |
तुज सम रूप दुसरे, परमेष्टी | करिता झाला कष्टी |
शशीरस रसरसला ,वदनपुटी | दिव्य सुलोचन दृष्टी |
सुवर्ण रत्नांच्या, शिरी मुकुटी | लोपती रविशशी कोटी |
गजमुखी तुज स्तविले हेरंबे | मंगल सकळारंभे || जय जय || १ ||
कुमकुम चिरी शोभे मळवटी | कस्तुरी टिळक लल्लाटी |
नासिक अति सरळ, हनुवटी | रुचिरामृत रस ओठी |
समान जणू लवल्या, धनुकोटी | आकर्ण लोचन भ्रुकुटी |
शिरी नीट भांगवळी, उफराटी | कर्नाटकची घाटी |
भुजंग नीळरंगा, परी शोभे | वेणी पाठीवर लोंबे || जय जय || २ ||
कंकणे कनकाची मनगटी | दिव्य मुद्या दश बोटी |
बाजूबंद जडे बाहुबटी | चर्चुनी केशर उटी | सुगंधी पुष्पांचे हार कंठी |
बहु मोत्यांची दाटी | अंगी नवी चोळी, जरीकाठी | पीत पितांबर तगटी |
पैंजण पदकमळी, अति शोभे | भ्रमर धावती लोभे || जय जय ||३ ||
साक्षप तू क्षितिच्या तळवटी | तूचि स्वये जगजेठी |
ओवाळीत आरती, दिपताटी | घेऊनी कर संपुष्टी |
करुणामृत हृदये, संकटी | धावसी भक्तांसाठी |
विष्णूदास सदा, बहुकष्टी | देशील जरी नीजभेटी |
तरी मग काय उणे, या लाभे | धाव पाव अविलंबे || जय जय || ४ |