मल्हारी मार्तंड विजय अध्याय विसावा
बुधवार, 4 डिसेंबर 2024 (12:37 IST)
॥ श्री मार्तंड भैरवाय नम: ॥ सनत्कुमार ऋषीस म्हणे ॥ षष्ठी तीर्थाचे माहात्म्य ऐकणे ॥ मी सांगतो तें श्रवण करणें ॥ आवडी धरुनी ॥१॥
करितां रामतीर्थी स्नान ॥ होय पातक नाशन ॥ मल्लेश्वर तीर्थदर्शन ॥ ब्रह्महत्या जातसे ॥२॥
सूर्यतीर्थी स्नान होय ॥ अष्टादश कुष्ट जाय ॥ योणीत तीर्थी स्नान होय ॥ पातक दूर होतसे ॥३॥
वैतरणीचें स्नान ॥ विष्णुलोकाप्रति जाण ॥ परशुराम तीर्थी नाहणें ॥ मुक्ति प्राप्त होतसे ॥४॥
शिवतीर्थी इच्छा संपूर्ण ॥ कोटि तीर्थे पातक निरसन ॥ अश्वतीर्थी स्वर्गासि जाण ॥ शक्तितीर्थी स्नानें शक्तिवंत ॥५॥
अग्नीकुंड स्नानें दशयज्ञ फल ॥ गणपति तीर्थे विद्याकुशल ॥ काळभैरवी उत्तम होईल ॥ प्रयागसंगमीं देवता तुष्टी ॥६॥
सर्व तीर्थासी सर्व पातक नाश ॥ एकादशरुद्रलोकीं वास ॥ वरुणतीर्थी पावे मुक्तिस ॥ पार्वतीतीर्थे कामना पूर्ण ॥७॥
भोगावतीतीर्थी स्नान ॥ ऋषि करिती अनुष्ठान ॥ तेणें तीर्थ जाहलें निर्माण ॥ त्यांचे नाम परिसां तुम्हीं ॥८॥
अगस्ति अत्री पौलस्तिक ॥ भृगु अंगिरा भारद्वाज वसिष्ठ कश्यप शौलक ॥ जमदग्नि भार्गव चवन ॥ अंबरींष गुरु कहोळक ॥ पराशर मातंग पुंडरीक कौशिक कण्व ॥९॥
वत्स वैरवानस बोधि मांडव्य कुंडन ॥ व्यास सांख्य कुत्स गालव सौभरी वात्सायन ॥ शांडिल्य मंडुक वाल्मींकी जाबाली रेभी अग्नि यम जाण ॥ कंदर्प ब्रह्म हरिहर कुबेर वायु ॥१०॥
ऐसे षष्ठतीर्थ जाण ॥ स्नान अथवा होता दर्शन ॥ चुकती जन्ममरण ॥ चौर्यांशी फेरे तुटती ॥११॥
इति श्रीक्षेत्रखंड ब्रह्मांडपुराण ॥ मल्लारिमाहात्म्य व्यास कथन ॥ त्यातील सारांश प्राकृत भाषण ॥ माणिकदास बोलिला असे ॥२२॥
श्रीमाणिकप्रभुकृतटीकायां षष्ठतीर्थवर्णनो नाम विशंतितमोऽध्याय: ॥२०॥