।। माय मराठी रॉक्स ।।

दुधवाल्यासोबत-

क्या भैय्या... 
आज कल आप दुध में बहोत पाणी 'मिसळ' रहे हो.. ये दुध की चाय एकदम 'पाणचट' बनती है फिर हमारे ये सुबह सुबह 'खेकसते' है मेरे पे ...
 
 
भाजीवाल्यासोबत-
 
बाई- कैसे दिया भाजी..
भाजीवाला- जी ये आलू १२ रु., बैंगन १६ रु. और शिमला मिर्च १० रु. पाव...
बाई- सोळा रु. के वांगे !! 
क्या भैय्या.. रोजके 'गिऱ्हाईक' होकेभी जास्ती भाव लागते.. तुमसे तो वो 'कोपरेवाले' भैय्या सस्ता देते.. चलो.. पावशेर 'ढोबळी' मिरची और आतपाव आलं-लसून दो...
 
 
रिक्षावाल्यासोबत-
 
रिक्षावाला- हां madam .. ये आ गया आपका विठ्ठलनगर..
बाई- अरे नई नई यहा नई.. वो आगे वो 'चिंचेका' झाड दिखता है ना वहासें 'उजवीकडे वळके' थोडा आगे...
रिक्षावाला- अरे madam .. २० रु. मै यहा तक ही आता...
बाई- क्या आदमी हो... अरे कुछ 'माणुसकी' है की नही... थोडा आगे छोडोंगे तो क्या 'झीझेंगा' क्या तुम्हारा रिक्षा..
 
 
शेजारच्या हिंदी भाषी बाईसोबत-
 
बाई २- अरे भाभीजी आप मुझे वो मुंगफली की चटणी बनाना सिखाने वाले थे... मेरे बेटेको बहोत पसंद है...
बाई- अरे 'वैणी' एकदम 'सोपी' है... पेहले शेंगदाणे लेके उसका एकदम बारीक 'कुट' करनेका और फिर उसमे जीरा, आलं-लसून और तिखट डालके उसको ठीकसे ढवळ लेनेका... और झणझणीत चटणी तैय्यार.......... ! 

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