रिक्षावाला- हां madam .. ये आ गया आपका विठ्ठलनगर..
बाई- अरे नई नई यहा नई.. वो आगे वो 'चिंचेका' झाड दिखता है ना वहासें 'उजवीकडे वळके' थोडा आगे...
रिक्षावाला- अरे madam .. २० रु. मै यहा तक ही आता...
बाई- क्या आदमी हो... अरे कुछ 'माणुसकी' है की नही... थोडा आगे छोडोंगे तो क्या 'झीझेंगा' क्या तुम्हारा रिक्षा..
शेजारच्या हिंदी भाषी बाईसोबत-
बाई २- अरे भाभीजी आप मुझे वो मुंगफली की चटणी बनाना सिखाने वाले थे... मेरे बेटेको बहोत पसंद है...
बाई- अरे 'वैणी' एकदम 'सोपी' है... पेहले शेंगदाणे लेके उसका एकदम बारीक 'कुट' करनेका और फिर उसमे जीरा, आलं-लसून और तिखट डालके उसको ठीकसे ढवळ लेनेका... और झणझणीत चटणी तैय्यार.......... !