Kuber Chalisa धन देवता कुबेराला प्रसन्न करा, आयुष्यात कधीही पैशाची कमतरता भासत नाही

शुक्रवार, 13 जून 2025 (06:01 IST)
Kuber Chalisa : हिंदू धर्मात कुबेर देवाला धन आणि समृद्धीचे प्रतीक मानले जाते. ते भगवान शिवाचे अनन्य भक्त आहेत. त्यांना नऊ खजिन्यांचे स्वामी म्हटले जाते. धार्मिक मान्यतेनुसार, कुबेरजींना कायमस्वरूपी संपत्तीचा अधिकार आहे, तर माता लक्ष्मी संपत्तीला गती देते, म्हणजेच लक्ष्मी संपत्तीला हालचाल ठेवते, तर कुबेर ते सुरक्षित आणि स्थिर करते. म्हणूनच, भगवान कुबेर यांना देवांचे खजिनदार आणि संपत्तीचे देव मानले जाते. यामुळेच खऱ्या मनाने कुबेर देवाची पूजा करणाऱ्या लोकांना त्यांच्या आयुष्यात कधीही पैशाची कमतरता भासत नाही. त्यांना भौतिक सुखसोयी देखील मिळतात.
 
जर तुम्हीही दीर्घकाळ आर्थिक संकटाशी झुंजत असाल आणि लाखो प्रयत्नांनंतरही पैसा टिकू शकत नसेल, तर दररोज कुबेर चालीसा पठण सुरू करा. यासाठी बुधवार हा सर्वात शुभ दिवस मानला जातो. या दिवशी तुमच्या घराच्या किंवा कामाच्या ठिकाणी पूजास्थळी विधीपूर्वक कुबेर यंत्र स्थापित करा आणि स्नान केल्यानंतर त्याची दररोज पूजा करा आणि चालीसा वाचा. असे केल्याने तुमची आर्थिक स्थिती हळूहळू सुधारेल आणि घरात सुख आणि समृद्धी राहील.
 
कुबेर यंत्र असे स्थापित करा
पूजेच्या ठिकाणी कुबेर यंत्र ठेवा. सर्वप्रथम ते गंगाजल आणि कच्च्या दुधाने शुद्ध करा. नंतर तुपाचा दिवा आणि अगरबत्ती लावा आणि यंत्राची पूजा करा. त्यानंतर कुबेर चालीसा पाठ करा. स्नान केल्यानंतर दररोज हे पठण करा. असे मानले जाते की कुबेरजींच्या कृपेने हे पठण केल्याने आर्थिक स्थिती हळूहळू सुधारू लागते, संपत्ती आणि सौभाग्य येते आणि जीवन आनंदी होते.
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कुबेर चालीसा
दोहा
जैसे अटल हिमालय और जैसे अडिग सुमेर।
ऐसे ही स्वर्ग द्वार पै,अविचल खड़े कुबेर॥
विघ्न हरण मंगल करण, सुनो शरणागत की टेर।
भक्त हेतु वितरण करो, धन माया के ढेर॥
 
चौपाई
जै जै जै श्री कुबेर भण्डारी। धन माया के तुम अधिकारी॥
तप तेज पुंज निर्भय भय हारी। पवन वेग सम सम तनु बलधारी॥
 
स्वर्ग द्वार की करें पहरे दारी। सेवक इंद्र देव के आज्ञाकारी॥
यक्ष यक्षणी की है सेना भारी। सेनापति बने युद्ध में धनुधारी॥
 
महा योद्धा बन शस्त्र धारैं। युद्ध करैं शत्रु को मारैं॥
सदा विजयी कभी ना हारैं। भगत जनों के संकट टारैं॥
 
प्रपितामह हैं स्वयं विधाता। पुलिस्ता वंश के जन्म विख्याता॥
विश्रवा पिता इडविडा जी माता। विभीषण भगत आपके भ्राता॥
 
शिव चरणों में जब ध्यान लगाया। घोर तपस्या करी तन को सुखाया॥
शिव वरदान मिले देवत्य पाया। अमृत पान करी अमर हुई काया॥
 
धर्म ध्वजा सदा लिए हाथ में। देवी देवता सब फिरैं साथ में॥
पीताम्बर वस्त्र पहने गात में। बल शक्ति पूरी यक्ष जात में॥
 
स्वर्ण सिंहासन आप विराजैं। त्रिशूल गदा हाथ में साजैं॥
शंख मृदंग नगारे बाजैं। गंधर्व राग मधुर स्वर गाजैं॥
 
चौंसठ योगनी मंगल गावैं। ऋद्धि सिद्धि नित भोग लगावैं॥
दास दासनी सिर छत्र फिरावैं। यक्ष यक्षणी मिल चंवर ढुलावैं॥
 
ऋषियों में जैसे परशुराम बली हैं। देवन्ह में जैसे हनुमान बली हैं॥
पुरुषों में जैसे भीम बली हैं। यक्षों में ऐसे ही कुबेर बली हैं॥
 
भगतों में जैसे प्रहलाद बड़े हैं। पक्षियों में जैसे गरुड़ बड़े हैं॥
नागों में जैसे शेष बड़े हैं। वैसे ही भगत कुबेर बड़े हैं॥
 
कांधे धनुष हाथ में भाला। गले फूलों की पहनी माला॥
स्वर्ण मुकुट अरु देह विशाला। दूर दूर तक होए उजाला॥
 
कुबेर देव को जो मन में धारे। सदा विजय हो कभी न हारे॥
बिगड़े काम बन जाएं सारे। अन्न धन के रहें भरे भण्डारे॥
 
कुबेर गरीब को आप उभारैं। कुबेर कर्ज को शीघ्र उतारैं॥
कुबेर भगत के संकट टारैं। कुबेर शत्रु को क्षण में मारैं॥
 
शीघ्र धनी जो होना चाहे। क्युं नहीं यक्ष कुबेर मनाएं॥
यह पाठ जो पढ़े पढ़ाएं। दिन दुगना व्यापार बढ़ाएं॥
 
भूत प्रेत को कुबेर भगावैं। अड़े काम को कुबेर बनावैं॥
रोग शोक को कुबेर नशावैं। कलंक कोढ़ को कुबेर हटावैं॥
 
कुबेर चढ़े को और चढ़ा दें। कुबेर गिरे को पुन: उठा दें॥
कुबेर भाग्य को तुरंत जगा दें। कुबेर भूले को राह बता दें॥
 
प्यासे की प्यास कुबेर बुझा दें। भूखे की भूख कुबेर मिटा दें॥
रोगी का रोग कुबेर घटा दें। दुखिया का दुख कुबेर छुटा दें॥
 
बांझ की गोद कुबेर भरा दें। कारोबार को कुबेर बढ़ा दें॥
कारागार से कुबेर छुड़ा दें। चोर ठगों से कुबेर बचा दें॥
 
कोर्ट केस में कुबेर जितावैं। जो कुबेर को मन में ध्यावैं॥
चुनाव में जीत कुबेर करावैं। मंत्री पद पर कुबेर बिठावैं॥
 
पाठ करे जो नित मन लाई। उसकी कला हो सदा सवाई॥
जिसपे प्रसन्न कुबेर की माई। उसका जीवन चले सुखदाई॥
 
जो कुबेर का पाठ करावैं। उसका बेड़ा पार लगावैं॥
उजड़े घर को पुन: बसावैं। शत्रु को भी मित्र बनावैं॥
 
सहस्त्र पुस्तक जो दान कराई। सब सुख भोद पदार्थ पाई॥
प्राण त्याग कर स्वर्ग में जाई। मानस परिवार कुबेर कीर्ति गाई॥
 
दोहा
शिव भक्तों में अग्रणी, श्री यक्षराज कुबेर।
हृदय में ज्ञान प्रकाश भर, कर दो दूर अंधेर॥
कर दो दूर अंधेर अब, जरा करो ना देर।
शरण पड़ा हूं आपकी, दया की दृष्टि फेर॥

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