'मो. रफी'चे सदाबहार नगमे

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ये दुनिया ये महफिल मेरे काम की नहीं

-हीर-राँझा/1970/ कैफी आजमी/मदन मोहन

बाबूल की दुआएँ लेती जा,

जा तुझको सुखी संसार मिले

- नीलकमल/1968/साहिर/रवि

आई हैं बहारें मिटे जुल्मो-सितम

प्यार का जमाना आया दूर हुए गम

-राम और श्याम/1967/शकील/नौशाद

बहारों फूल बरसाओ, मेरा मेहबूब आया है

- सूरज/1966/हसरत/शंकर-जयकिशन

कोई सागर दिल को बहलाता नहीं

बेखुदी में भी करार आता नहीं

-दिल दिया दर्द लिया/1966/शीकल/नौशाद

पुकारता चला हूँ मैं गली-गली बहार की

बस एक छाँव जुल्फ की, एक निगाह प्यार की

-मेरे सनम/1965/मजरुह/ओपी नय्यर

छू लेने दो नाजुक ओंठों को

कुछ और नहीं ये जाम है

-काजल/1965/साहिर/रवि

तेरे-मेरे सपने अब इक रंग हैं

जहाँ भी ले जाएँ राहें हम संग हैं

-गाइड/1965/शैलेन्द्र/सचिन देव बर्मन

ये मेरा प्रेमपत्र पढ़कर तुम नाराज ना होना

-संगम/1964/हसरत/शंकर-जयकिशन

हमीं से मुहब्बत, हमीं से लड़ाई

अरे मार डाल, दुहाई-दुहाई

-लीडर/1964/शकील/नौशाद

तेरी प्यारी-प्यारी सूरत को

किसी की नजर न लगे, चश्मे बद्दूर

- सुसुराल/1961/हसरत/शंकर-जयकिशन

नैन लड़ जई हैं, तो मनवामा कसक होइबे करी

-गंगा-जमुना/1961/शकील/नौशाद

चाहे मुझे कोई जंगली कहे

कहने दो जी कहता रहे

-जंगली/1961/शैलेन्द्र/शंकर-जयकिशन

मैं जिंदगी का साथ निभाता चला गया

हर फिक्र को धुएँ में उड़ाता चला गया

-हम दोनों/1961/साहिर/जयदेव

मधुबन में राधिका नाचे रे

गिरधर की मुरलिया बाजे रे

-कोहिनूर/1960/शकील/नौशा


खोया-खोया चाँद, खुला आसमान

आँखों में सारी रात जाएगी, तुमको भी कैसे नींद आएगी

-काला बाजार/1960/शैलन्द्र/सचिन देव बर्मन

चौहदवीं का चाँद हो या आफताब हो

जो भी हो तुम खुदा की कसम लाजवाब हो

-चौदहवीं का चाँद/1960/शकील/रवि

जिंदगी भर नहीं भूलेगी वो बरसात की रात

एक अंजान हसीना से मुलाकात की रात

-बरसात की रात/1960/साहिर/रोशन

देखी जमाने की यारी,

बिछुड़े सभी बारी-बारी

-कागज के फूल/1959/कैफी आजमी/सचिन देव बर्मन

तू हिंदू बनेगा न मुसलमान बनेगा

इंसान की औलाद है, इंसान बनेगा

-धूल का फूल/1959/साहिर/एन. दत्ता

टूटे हुए ख्बावों ने हमको ये सिखाया है

दिल में जिसे पाया, आँखों ने गँवाया है

-मधुमती/1958/शैलेन्द्र सलिल चौधरी

ये महलों, ये तख्तों, ये ताजों की दुनिया

ये दुनिया अगर मिल भी जाए तो क्या है

-प्यासा/1957/साहिर/सचिन देव बर्मन

मैंने चाँद और सितारों की तमन्ना की थी

मुझको रातों की सियाही के सिवा कुछ न मिला

-चंद्रकांता/1956/साहिर/एन. दत्ता

बस्ती-बस्ती परबत-बरपत गाता जाए बंजारा

लेकर दिल का इकतारा

-रेलवे प्लेटफार्म/1955/साहिर/मदन मोहन

महलों में रहने वाले हमें तेरे दर से क्या

-शबाब/1954/शकील/नौशाद

इंसाफ का मंदिर है ये, भगवान का घर है

-अमर/1954/शकील/नौशाद

नसीब दर पे तेरे आजमाने आया हूँ

तुमहीं को तेरी कहानी सुनाने आया हूँ

-दीदार/1951/शकील/नौशाद

ये जिंदगी के मेले, ये जिंदगी के मेले

दुनिया में कम न होंगे, अफसोस हम न होगे

-मेला/1948/शकील बंदायूजी/नौशाद

कहके भी आए तुम, अब छुपने लगे तारे

दिल ले के तुमहीं जीते, दिल दे के हम ही हारे

-सफर/1946/गोपाल सिंह नेपाली/सी. रामचंद्र

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